Old Tehri- The lost city

 



आज मेरे मित्र टिहरी से आये उन्होने टिहरी झील के बारे में बताया और बडे उत्साह से वे टिहरी के बारे में बातें करते रहे। अचानक वे पुरनी स्मृतियों मंे खो से गये और अपने धर और खेतो के बारे मंे बात करते-करते उनकी आखें भर आयी मैने कहा सरकार ने उसके बदले में ऋषिकेश में जगह तो दे दी है वे गुस्से के भाव से वोले क्या शरीर का कोई अंग अलग किया जा सकता है और क्या उसकी भरापाई हो सकती है अगर होगी भी तो पहले जैसी नही होगी।मै निरूत्तर हो गया वे वोले यार टिहरी की नींव ही गलत समय पर रक्खी गयी। मै आश्चर्यचकित था मैने कहा कैसे तो वे वोले जनश्रुति है कि जब टिहरी का निर्माण हो रहा था तो उसी समय ज्योतिष भविष्यवक्ताओ ने धोषण कर दी थी कि ये शहर 200 साल तक ही आबाद रहेगा उसके बाद जलमग्न हो जायेगा। मै भी ज्योतिषशास्त्र में रूचि रखता हूॅ तो मैने पूछा कि शहर की स्थापना कब हुई थी तो वे तपाक से बोले 28 दिस01815 मैने कहा अच्छी बात है जरा समय भी बता दो वे बोले समय तो  नही पता मैन अपने एक  मित्र सेमल्टी जी को फोन मिलाया उन्होने कहा प्रातः10ःबजे सुबह अब मेरे पास सारी जानकारी थी मैने कम्प्यूटर से कुण्डली बनाई हो कुण्डली सामने आयी उसने भी इसकी पुष्टि की  मेरे समाने अब वास्तु और समय के विज्ञान की एक जीवित मिसाल सामने खडी थी। जो लोग ज्योतिष जानते है वे जानते होगे कि जब लग्नेश व्यय भाव में हो तो जातक की उम्र लम्बी नही होती पर इसे हम जगह और वास्तु के हिसाब से देख रहे थे तो इसे समाप्त होना ही था साफ्टवेयर में 1815 से विन्शोन्तरी महादशा नही उपलब्ध थी अतः यह कहना आसन नही था कि कब जातक का अंत होगा लकिन कुछ बाते ध्यान देने की है जैसे कि दशम भाव में नीच का चन्द्र एकादश भाव मंे सूर्य पर केतु ग्रहण योग तथा और अध्ययन करने पर और भी दिलचस्प बाते मालूम होगी यह शोध का विषय है। जैसे कि आदमी की कुण्डली होती है वेैसे ही वास्तु निर्माण की भी कुण्डली होती है यह बात सिद्व हो गयी है। हमारा भारतीय वाग्मय वेद व ज्योतिष में हमारे पुर्वजो की तपस्या का फल है 

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