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शिवाः नेहरू कालोनी के निवासियो ने स्टेनपोस्ट चोर को पकड़ा और धनु डाला । यह खबर है तो मामूली,पर है यह हत्या ही । पर इसे वाटर कम्पनीयों  की मिली भगत भी नही कहा जा सकता। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि प्राचीन समय में दूर देश की यात्रा में मुसाफिर लोटा और रस्सी लेकर चलते थे जहाॅ भी कुआं बावडी होता था यात्री रूक कर पानी पीते और तरोताजा होते थे । हर राजा के राजधर्म मंे ये अनिवार्य ऐजेण्डा होता था इससे वो ये जहाॅन और परमार्थ भी सुधारता था कहा जाता है कि जिस राजा के राज्य में मुसाफिर को पीने को पानी नही होता वो राजा यशस्वी नही होता है। राजमार्ग के दोनो ओर छायादार वृक्ष और कुऐं पथिक को आराम देते थे व्यापर और धार्मिक कार्य पानी के बलबूते ही होते थे। रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून आज आप जलकल संस्थान के जूनियर इंजीनियर से पूछिये कि आपके इलाके में कितने स्टनेपोस्ट थे तथा कितने काम कर रहे है तो वो वगले झांकने लगेगा और कहेगा लोग टोटी चुरा ले जाते है और पाइप उखाड ले जाते है टोटी और पाइप की लाश तक नही मिलती इसका श्रेय इंजीनियर महोदय बेवडो को देते है वे कहते हैे कि बेवडे टोटी कबाडी को बेच देते है और दारू पी लेते है पर मैं यह सोचता हॅेु कि दारूबाजों को भी दारू में मिलाने को पानी कहाॅ से मिलेगा । खैर यह तो हुई मजाक की बात पर मैने उस डाल को कभी हरा होते नही देखा कालोनी में कुछ ऐसे भी दबंग होते है जिन्हे गरीब लोगो की सुबह की खाली बाल्टी डेथ वारंट लगती है, उन्होने भी  मुहल्ले के स्टेन पोस्टो का कत्ल किया है और डकार तक नही  ली। चैराहो की शान और गाय भैसों की शरणस्थली और छोटे बच्चों की मैकेनिक शाला आज वीरान पडी है। स्थानीय पाषर्द भी आज बडी-बडी कम्पनीयांे के उदधाटन करने जाते है पर अपने मुहल्ले के स्टेनपोस्ट पर उनकी नजरे इनायत नही होती। पानी की कम्पनी का  आउटलेट खोलते ही पानी बिकने लगाता  है ऐसा लगाता है कि जैसे पानी की बोतले मृतप्राय स्टेनपोस्ट को मुहॅ चिढा रहे हो। अनरवत प्रवाहित जलधारा के स्त्रोत   जमींजोद स्टेन पोस्ट की आत्मा की शान्ति  के लिये सभी दो मिनट का मौन रखेगे और भगवान से प्रार्थना करेंगे कि पानी पर राजनीति न हो । संभव हो तो दिवंगत आत्मा को सशरीर बुलाया जाये स्टेनपोस्ट का अभिनंदन मुहल्ले के लोग और प्यारी सी प्यासी भैंस करती रहे।


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