Gift for mankind The a

 आज सहस्त्रधारा गया एक आश्रम में स्वमी जी से मुलाकात हुई  उन्होने कई जटिल रोगो के लिये रामबाण औषधियों की खोज की है वे अत्यन्त सरल है बाल वहमचारी है । मानवता की सेवा में अनवरत लगे हुये है उन्होने कहा कि महाकाल की पे्ररणा से वे रोगियो की सेवा कर रहे हेै सहसा मुझे दीक्षित जी की बात याद आ गयी उन्होेने बताया कि मुम्बई में एक अस्पताल में कुछ लोग आपको धूमते मिल जायेगे अगर कोई गरीब रोगी इलाज में अक्षम   है तो वे उससे अस्पलात का बिल पूछते है और अस्पताल को चेक द्वारा भुगतान कर देते है सलाम है ऐसे मानवता के साइलेन्ट योद्वाओं को  दीक्षित जी के मुॅह से उनके लिये यही शब्द निकले कि शिवाजी ऐसे लोगे के प्रबल प्रताप से ही यह धरती टिकी हुई है। हाॅ स्वामी जी के अनुभवो से दो चार हो ही रहा था आर्युवेद की महिमा का प्रकरण चल रहा था   कि सहसा एक कहानी याद आ गयी कि मुगल शासक के हरम में एक बेगम को राजवैद्यजी की प्रतिभा पर शक हुआ तो उन्होने उनकी परीक्षा लेने की सूझी ।राजवैद्यजी वेगमो के परदा में रहने के चलते चलते नाडी देखने के लिये पतली सुतली रोगी के हाथ में बाॅध देते थे और दवा दे देते थे। वेगम ने परदे के पीछे बकरी को बाॅध दिया और राजवैद्यजी को बुलाया ।राजवैद्यजी ने सुतली से नाडी को देखा और सिर हिलाया वेगम ने राजवैद्यजी से पूछा कि रोगी को क्या बीमारी है। राजवैद्यजी हंसे और बोले कि वेगम आपकी रोगी दो महीने से गर्भ से हौ और  समय आने पर तीन सुन्दर से बकरी के बच्चे देगी ।बेगम झेप गयी और उन्होने राजवैद्यजी को काफी इनाम देकर विदा किया । अब समय सोचने का है राजवैद्यजी ने कितना अध्ययन किया होगा कि बकरी कि पल्स कितनी है तथा वो कितने महीने के गर्भ से है आर्युवेद एक जीवन ़प़द्धति है और सौ साल तक जीने की गारन्टी देती है जरूरत है तो उसके सि़द्धान्ते के अनुपालन करने की है ।

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