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                                                           आज की ताजा खबर शिवाः नेहरू कालोनी के निवासियो ने स्टेनपोस्ट चोर को पकड़ा और धनु डाला । यह खबर है तो मामूली,पर है यह हत्या ही । पर इसे वाटर कम्पनीयों  की मिली भगत भी नही कहा जा सकता। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि प्राचीन समय में दूर देश की यात्रा में मुसाफिर लोटा और रस्सी लेकर चलते थे जहाॅ भी कुआं बावडी होता था यात्री रूक कर पानी पीते और तरोताजा होते थे । हर राजा के राजधर्म मंे ये अनिवार्य ऐजेण्डा होता था इससे वो ये जहाॅन और परमार्थ भी सुधारता था कहा जाता है कि जिस राजा के राज्य में मुसाफिर को पीने को पानी नही होता वो राजा यशस्वी नही होता है। राजमार्ग के दोनो ओर छायादार वृक्ष और कुऐं पथिक को आराम देते थे व्यापर और धार्मिक कार्य पानी के बलबूते ही होते थे। रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून आज आप जलकल संस्थान के जूनियर इंजीनियर से पूछिये कि आपके इलाके में कितने स्टनेपोस्ट थे तथा कितने काम कर रहे है तो वो वगले झांकने लगेगा और कहेगा लोग टोटी चुरा ले जाते है और पाइप उखाड ले जाते है टोटी और पाइप की लाश तक नही मिलती इसका श्रेय इंजीनियर महोद
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आदित्य  धरती की गोद से निकलता हुआ एक यान आदित्य अपने स्वंयनाम को धन्य करता हुआ सूरज की ओर बढता जाता है यह यात्रा मानो  अपने को जानने की है क्योकि सूरज को भारतीय साहित्य में पिता का दर्जां दिया गया है कितना जान पाते है हम अपने पिता को अगर एक रोज सूरज धरती पर न उगे तो शायद हम अपने होने के अहसास को महसूस भी न कर सके उसकी आभा का प्रभामंडल का ही चमत्कार है कि हम बस सरलता से जीवन जीते चले जाते है कभी -कभार उसपर ग्रहण लग जाता है तब हमे अहसास होता है कि हम खगोलीय धटनाओं के एक बिन्दु मात्र है  धरती पर 8 मिनट मे सूरज से चली किरण आती है और अरबो साल से ऐसा ही होता आया है शाम को जब सूरज की दीप्तता समाप्त हो जाती है तोे लगता है कि कुछ छूट गया है और खूबसूरती इसमें ही है कि सूरज की अनुपस्तिथि में ही हमे आराम करना होता है और हमारी जैव धडी उसी प्रकार काम करती है भले ही हमने बिजली का अविष्कार कर लिया हो पर विकासक्रम मंे अर्जिंत आदते  उसी प्रकार विकसित हुइ है। सूरज को करीब से जानने की जिज्ञासा हमेशा से रही है सबसे पहले सोहो यान अमेरिका ने 02 दिस1995 को भेजा इसके बाद पारकर सोलर प्रोब 12 अगस्त 2018 को भेजा

vrishka ropan

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आज धरती  अपने श्रृंगार के लिये पुकार रही थी उसी से प्रेरणा लेकर पत्रं लिखा और वन विभाग से फलदार वृक्ष लाया। काम देखने मे आसान था पर भारतवर्ष में सरकारी मशीनरी से काम करवाना दीवार में सिर फोडने के समान है सरकारी बाबू बाधा रेस के पीएचडी धारक है मै उनको डाक्टर कहता हॅू वे ही बााधा खडी करते है और वही समाधान भी बताते है मतलब कि आदमी अभिभूत हो जाये कि उसने क्या सोचा था पर हकीकत तो और ही है और वो बस सरकारी बाबू ही जानता वो आपको लाजबाब कर देगा और आप सोचेगे कि आपने तो व्यर्थ ही धरती पर जन्म लिया खैर जैसे-तैसे पेड प्राप्त किये और लोगो को वृ़क्षारोपरण के लिये तैयार किया। काफी पहले एक कार्यक्रम चला था फ्रूट फार फयूचर और उसमें भी हमने वहुतेरे फलदार पौधे लगाये थे आज उसके फल बच्चे खा रहे है और आज जो फल हम खा रहे हे वो हमारे पूर्वजो ने लगाये थे । चन्द्रगुप्त ने सारे भारत में सड़क के किनारे पेड़ लगवाये थे किसी भी देश मे ंसफल आर्थिकी के लिंये एक तिहाई भूभाग में पेड़ होने चाहिये सेटेलाइट इमेज से पता चलता है कि वनो का रकबा बडा है। भारतीय वाग्मय में कहा गया है कि एक वृक्ष सोै पुत्र समान ,पर्यावरण से इतनी करीब

Gift for mankind The a

 आज सहस्त्रधारा गया एक आश्रम में स्वमी जी से मुलाकात हुई  उन्होने कई जटिल रोगो के लिये रामबाण औषधियों की खोज की है वे अत्यन्त सरल है बाल वहमचारी है । मानवता की सेवा में अनवरत लगे हुये है उन्होने कहा कि महाकाल की पे्ररणा से वे रोगियो की सेवा कर रहे हेै सहसा मुझे दीक्षित जी की बात याद आ गयी उन्होेने बताया कि मुम्बई में एक अस्पताल में कुछ लोग आपको धूमते मिल जायेगे अगर कोई गरीब रोगी इलाज में अक्षम   है तो वे उससे अस्पलात का बिल पूछते है और अस्पताल को चेक द्वारा भुगतान कर देते है सलाम है ऐसे मानवता के साइलेन्ट योद्वाओं को  दीक्षित जी के मुॅह से उनके लिये यही शब्द निकले कि शिवाजी ऐसे लोगे के प्रबल प्रताप से ही यह धरती टिकी हुई है। हाॅ स्वामी जी के अनुभवो से दो चार हो ही रहा था आर्युवेद की महिमा का प्रकरण चल रहा था   कि सहसा एक कहानी याद आ गयी कि मुगल शासक के हरम में एक बेगम को राजवैद्यजी की प्रतिभा पर शक हुआ तो उन्होने उनकी परीक्षा लेने की सूझी ।राजवैद्यजी वेगमो के परदा में रहने के चलते चलते नाडी देखने के लिये पतली सुतली रोगी के हाथ में बाॅध देते थे और दवा दे देते थे। वेगम ने परदे के पीछे बक

Old Tehri- The lost city

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  आज मेरे मित्र टिहरी से आये उन्होने टिहरी झील के बारे में बताया और बडे उत्साह से वे टिहरी के बारे में बातें करते रहे। अचानक वे पुरनी स्मृतियों मंे खो से गये और अपने धर और खेतो के बारे मंे बात करते-करते उनकी आखें भर आयी मैने कहा सरकार ने उसके बदले में ऋषिकेश में जगह तो दे दी है वे गुस्से के भाव से वोले क्या शरीर का कोई अंग अलग किया जा सकता है और क्या उसकी भरापाई हो सकती है अगर होगी भी तो पहले जैसी नही होगी।मै निरूत्तर हो गया वे वोले यार टिहरी की नींव ही गलत समय पर रक्खी गयी। मै आश्चर्यचकित था मैने कहा कैसे तो वे वोले जनश्रुति है कि जब टिहरी का निर्माण हो रहा था तो उसी समय ज्योतिष भविष्यवक्ताओ ने धोषण कर दी थी कि ये शहर 200 साल तक ही आबाद रहेगा उसके बाद जलमग्न हो जायेगा। मै भी ज्योतिषशास्त्र में रूचि रखता हूॅ तो मैने पूछा कि शहर की स्थापना कब हुई थी तो वे तपाक से बोले 28 दिस 01815 मैने कहा अच्छी बात है जरा समय भी बता दो वे बोले समय तो   नही पता मैन अपने एक   मित्र सेमल्टी जी को फोन मिलाया उन्होने कहा प्रातः 10 ःबजे सुबह अब मेरे पास सारी जानकारी थी मैने कम्प्यूटर से कुण्डली बनाई हो कुण्ड
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 आज का दिन कल के पुराने ब्लाग से जुडा हुआ था जिन्होने मेरी पिछली कहानी पढी है उन्हे पता होगा कि मैने लिखा था कि बडासी गान्ट्र गाॅव के पास कार जली थी आज कार से आते समय उसी स्पाॅट पर इनोवा और बाइक बाले की भिंडत हो गयी इसे क्या कहेगे प्रकृति में ऐसे संकेत आपको प्राप्त होते रहते है अगर आपकी सूक्ष्म विशलेषण करने की क्षमता है तो आपको पूर्वाभास हो सकता है कई वार तो घटनाये फिल्म की भांति चली है। मैने इकोलाॅजी को समझा है पर घटनाओ के पैर्टन को समझ कर भविष्य को देख पाना कठिन काम है क्योकि यह चेतन और भौतिक जगत के बीच की वारीक समझ है हमारा विवेक एक चीज है और वह तात्कालिक घटनाओ पर प्रतिक्रिया देता है पर दिल की बात समझ कर जो लोग फलाइट को छोड देते है और फलाइट क्रैश हो जाती है। कुछ लोग सिर्फ लिफ्ट लेते है और मौत के मुॅह में चले जाते है। खैर यह टाॅपिक फिर कभी आज उसी स्पाॅट पर एक्सीडेन्ट की बात करते है इनोबा का ड्राइवर गलती पर था उसने गाडी ज्यादा ही काट दी थी और दौनो बाइक सबार गिर पडे हाॅलाकि उन्हे ज्यादा चोट नही लगी और वे उढ गये इनोबा बाला उनसे उल्टा उलझ पडा और लडने लगा और गलती निकालने लगा उसने पुलिस को

THE YAMRAJ's Representative

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  हमारे समाज में कई कहानियां प्रचलित  है कथा और प्रथा कुछ आपबीती और कुछ जगबीती पर आधारित होती है। पर सुनी सुनाई पर तब विश्वास करना पडता है जब वैसी ही धटनाये आपके साथ हो रही होती है। बात बीस साल पहले की है सात मोड के पास जाते हुये एक अजीब से शक्स को देखते ही ऐसा लगा जैसे कि वो किसी जज का अर्दली हो वो किसी स्पाॅट को अजीब तरीके से देख रहा था बात आयी गयी हो गयी पर अगले दिन भी जाते समय वो आदमी उसी स्पाॅट को देखते हुये दिखाई दिया। आते समय सात मोड पर वाइक सबार का एक्सीडेन्ट हो रखा था उसे सरकारी अस्पताल पहुचाया पर वो बच नही सका उसके कई दिन बाद फिर वो अजनबी उसी स्पाॅट पर  दिखाई दिया आते समय ट्रक पलटा पडा था उसका ड्राइवर मर गया था। इसी से संबंधित  एक घटना दूरसंचार भवन के पास घटी एक संस्था की एम्बुलेन्स की है वो चलते-चलते जल उठी थी उससे पूर्व वहाॅ समान धटना दूसरी एम्बुलेन्स पे घट चुकी थी उसमे भी कई लोग जिन्दा जले थे।  ऐसी ही घटना वडासी गा्रन्ट के पास हुई कार टकरा कर जली और कई दिन बाद उसी स्पाॅट पर दूसरी कार जली गाॅव के लोगो ने वहाॅ एक मंदिर बना दिया। पर मैं यह नही समझ पाया कि एक्सीडेन्ट के पूर्व